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खलिशपुर का इतिहास

साच कहु तो मै गाओ नही छोरना चाहता था पर पेश की मोह और गाओ के लोग क्या कहेंग यह सोचकर आना पारा हर कोई प्यार सै यहाँ रहते है !

चलिए अब हम अपने गाओ के  बारे माँ बताता हु, जो की कुछ शुने और कुछ अनसुना है ! जो की सायद इतिहास मे दब गया है ! करीब 200  शाल पहले की बात है जब नेपाल के राजा अपना परोसी राजा और विश्तर आदि नीति से परेशान थे , हर शाल परोसी राजा युध या शरणागति शविकर करने को कहते थे और राजा हर शाल की भाती शरणागति शविकर करलेता थे ! वही कुछ पाँच छः माह पूरब उन्हों ने सेनापति नियक्त किया थे जो की 5 भइयो के एक शामूह थे (कूछ बुजुगों की मान ते वो बनरश से आय थे )! जैब उन्हो न देखा की उनके राजा फिर से शरणागति शविकर करने जा रहे है तो उन्होने उस परोसी राज के भेजा हुआ दुत के हाथ से तलवार ला लिया, राजा चिन्ति हो उठे की अब क्या होगा 5 भइयो ने कहा हम 5 ही  काफी है और ऐसा ही हुआ वाशताब  मे उन 5 भियो की जित हुई !




 तब राजा और भी चिंतित हो उठा पर वो कुछ न कर षका, युध जितना की खुशी मे राज दरबार से बारे भोज का निमंत्रण आया शभी लोग गए खाना खाया और फिर अचानक सारे भई मरने लगे क्यों कि खाने मे विश मिला हुआ था, इन 5 भियो की एक शेबीका थी पता चलते ही वहा से भाग निकली! क्यों की उन 5 भई मे से सबसे बारे भई को एक संतान भी था ! वो वह से भागना के बाद चाक नरेश के राज मे पहुंची जिनका नाम चरइ मिश्र था, और उधर वह वहा भूखी थी दिन की 12 बज रहे थे खाने के उपय मे उन्हों ने बचे को  पीपल के पेड़ के निचे रख कर चने की खेत से चने काट ने  चले  गाय,जब बहुत समय पश्चात सूर्य की किरण सीधा उस बच्चे के ऊपर परने लगा अब वह बच्चा को बचाने के लिया  पेड़ से उतर कर एक सर्प ने ऊस बेच के मुख को ढक लिया ! जब राजा स्वाम यह दृश्य देखा तो उस ने उस बचे के रक्छन का वचन उस शार्प को दिय ! जब शार्प वहा से चले गए तो उसने सारे मजदुर को बुला कर पुछा की ये बच्चा किश्का है! साडी बातो को जानने के  बाद उस बच्चा की परवरिष की जिमेदारी ली और नाम दिया बाबू राय गंगा राम सिंह   पहले तो उनको पांडेय बोला जाते था ! जब बचपन मे उन्हे कोई पूछते की माँ बाप कौन है तो वो सन से रह जाते  यह देख कर चरइ मिश्र ने अपने पुत्री से सदी करा दी! 
अब राज करने की बरी ऑइ तो सबसे पहला ताज  खॉ पर चढाई कर उन्हे मार दिया और ताज पुर की राज को संभाला !

कहा जाता है के जब ताज खाओ भाग रहा था तब उस ने एक सुरंग का इस्तेमाल किया था जिसका आज भी अबसेष बचा हुआ 

है , जिस से ना तो शरकर को मतलब है और  ना ही वहा के आम इंशान को या एक पर्यटक अस्थल बन शक्ति थी।  यह 3 km  लम्बा सुरंग है जो कि डीह से ले कर माली डीह तक जाती है। 

जब उन्होने राज्य संभाला तब महा रानी विकटोरिया ने लगन की कर बाढ़ ने  के लिया सारे छोटा बारे राजा को बुलाई जिश्मे या भी शामिल थे। शकत हिदायत दी गई थी की वो अपने साथ कोई हथियार न लय लकिन बाबू राय गंगा राम सिंह के मोची ने बुद्धिमानी से उनके जूते के अंदर मे एक क्रिच नमक हथियार को छुपा दिया था और उस वजह सा बाबू राय गंगा राम सिंह पर जब कर लगाने के लिया डराया गया तो उन्हों ने 3 शेपहियो की हाथ काट डाली तब महा रानी विकटोरिया ने 7 खून माफ़ और कर भी माफ़ कर दी और सिंह की उपाधि दी।

जिला :- समस्तीपुर,
थाना :- सरायरंजन,
 पिन :-  848505,











खलिशपुर का इतिहास खलिशपुर का इतिहास Reviewed by Fresher Job Wala on September 02, 2017 Rating: 5

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